तुम मुझे चाहो कुछ टूट के इस तरहा की रश्क़ ए क़मर हो मैं भी दीवाना हो जाऊँ तुम्हारा ऐसा की इश्क़ ए सहर हो।1। दास्ताँ मोहब्बत की जब कोई बताए तो चर्चा अपना हो जब कोई सताए मोहब्बत करने वालों को तो क़हर हो।2। बंदिशों में जीते नहीं है हम कोई बाँधे हमें तो कोहराम हो रंजिश कोई हो तो क़ायनात से कह दो हर जगह ज़हर हो।3। शोर ए रूसवाई ए दिल है और सितमों की न इंतहा हो अब जो बारिश हो तो इतनी हो कि सागर में लहर हो।4। फ़ित्ने हो जाता है दिल ये मेरा जब तू मेरे पास न हो रेज़ा रेज़ा ही सही दिल धड़कता है जैसे कोई बेक़रार हो।5। 'सफ़र' पर जब जाए कोई परिंदा तो चर्ख उसके साथ हो हम इश्क़ करने वालो को कोई रोके तो ख़ुदा की मेहर हो।6। [रश्क़ ए क़मर- jealousy of moon] [शोर ए रूसवाई ए दिल- humiliation of love] [फ़ित्ने- उथल पुथल] [चर्ख-sky, मेहर- दया] #yqbaba #yqdidi #love #philosophy #poem #yqbhaijan #gazal #shayari पू J A