बहोत अंदर तक छील देता है जब सच बिना मुलम्मे के कहा जाता है लोग हमसे ख़फ़ा रहते हैं, हमारी बातों का असर लगता है वक़्त की आँधियों में उड़ गए महल न जाने कैसे कैसे टाट के पर्दों के पीछे अंदाज़ बादशाहों का आज भी मगर दिखता है बेशुमार भीड़ में दो चार कम हो जाएं कहाँ पता चलता है गूंज उठती है मगर क़ायनात जब कोई बड़ा शजर गिरता है हर बात में दिए जाते हैं वास्ते, खायी जाती हैं क़समें मुनाफ़िक़ों से भरा मुझको ये सारा शहर लगता है मुझको मालूम है , ख़बर है उसको की गर्दिश में आजकल मेरे सितारे हैं मेरे दोस्त का मुस्कुरा के मेरा हाल पूछ लेना मुझको ज़हर लगता है 13/3/21 मुलम्मे - coating मुनाफ़िक़ - a person with weak faith YourQuote Baba योर कोट्स हिन्दी YourQuote Bhaijan