मैं और क़लम एक दूजे के बने यार दोनों मिलकर किस्से गढ़ते हजार अब हमारी अपनी अलग दुनिया है अब किसी तीसरे से नहीं हमें सरोकार लोगों का मज़मा लगाने की ज़रूरत नहीं, हमें अपनी तन्हाई से है अब बेहद प्यार मेरे मन की हर बात लिखती जाती क़लम मेरे हर सुख दुःख में सदा रही साझेदार! क़लम वाक़ई कमाल की दोस्ती निभाती होती मुख़्तलिफ़ और मुख़लिस राज़दार ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1001 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।