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पलकें हैं झुकीं, होठों पर है मुस्कान खिली, ग़ज़ल ख

पलकें हैं झुकीं, होठों पर है मुस्कान खिली,
ग़ज़ल खुद-ब-खुद ही बन जाए!
तेरे हुस्न में हैं तासीर इतनी,
खुदाया कैसे ना तुझसे मोहब्बत हो जाए!— % & ✒Saiyaahi Ki Kalam Se

🌻लेखन संगी🌻
"आसमाँ सी सोच हो  और बात हो ठहरी हुई,
फिर ग़ज़ल मंजूर होती   ही है दुआ के सामने!
तेरे होठों से सुन लूँ जो मैं इश़्क में डूबी ग़ज़ल,
ये इनायत है बड़ी सैयाही की वफ़ा के सामने!!
पलकें हैं झुकीं, होठों पर है मुस्कान खिली,
ग़ज़ल खुद-ब-खुद ही बन जाए!
तेरे हुस्न में हैं तासीर इतनी,
खुदाया कैसे ना तुझसे मोहब्बत हो जाए!— % & ✒Saiyaahi Ki Kalam Se

🌻लेखन संगी🌻
"आसमाँ सी सोच हो  और बात हो ठहरी हुई,
फिर ग़ज़ल मंजूर होती   ही है दुआ के सामने!
तेरे होठों से सुन लूँ जो मैं इश़्क में डूबी ग़ज़ल,
ये इनायत है बड़ी सैयाही की वफ़ा के सामने!!
poonamsuyal2290

Poonam Suyal

Bronze Star
Growing Creator
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