जहा देखो वहां खुशबुओं में जहर नजर आता है इंसानियत के कत्ल का कहर नजर आता है चुपचाप चले जा रही है जिंदगी अपनी ही मौजो में ये हारा हुआ मुसाफिर ऐश पता नही किधर जाता है जितने की चाह रखने वाली ताकते कमजोर झरोखों से समय को ताकती नजर आ रही है जो चल पड़ेगा तूफानी दरिया को चीर कर ऐश खड़ी चट्टानों को वही गिराता है