पल्लव की डायरी रगो में दौड़ता खून,अन्याय सह नही सकता आँखों से अपनी,अत्याचार गोरो का देख नही सकता सपूत हूँ भारत माँ का,दमन के कानून से घुट नही सकता गुलामी की बिछी हो कितनी भी बिछात ये आजाद,आजादी के बिना झुक नही सकता आजमाले अपने को गोरो,जाल बिछा लेना मेरे शरीर को जिंदा तू, छू भी नही सकता में आजादी का परवाना आजाद ही रहूँगा तेरी गुलामी में बंध नही सकता प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #ChandraShekharAzaad ये आजाद आजादी के बिना झुक नही सकता #ChandraShekharAzaad