खुदा जाने किसने लगा दिया नशा रसूख का भोले-भाले इंसान को कि अब इन्सान इन्सान नहीं समझता इन्सान को गोविंद बबुंदेलखंडी ✏✏ #वक्तव्य #गोविंदबुंदेलखंडी #लऊँड़ई