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आशिक़ को अपनी, यूँ आशिकी पर नाज़ है..! करता है प्या

 आशिक़ को अपनी,
यूँ आशिकी पर नाज़ है..!
करता है प्यार उसी से,
जैसे आसमाँ में बाज़ है..!
टुटा है दिल उसका,
जैसे शर्ट का काज़ है..!
वास्ते उसके ध्वस्त,
करने अल्फ़ाज़ है..!

©SHIVA KANT
  #alfaaz_e_dil