सच इस जहाँ में बुरे लोग सब कुछ कर सकते हैं, लेकिन सच बोलने की उनमें हैसियत नहीं होती। क्योंकि सच बोलना उनके औकात से बाहर है, इसके लिए आत्मा का पवित्र होना बहुत जरूरी है। झूठ का सहारा लेने वाले लोग सबको पसंद आते हैं, और सच बोलने वाले हमेशा उलझनों से घिरे रहते हैं। जैसे जिस्म और वस्त्र को चमकाने के लिए पानी चाहिये वैसे ही आत्मा को चमकाने के लिए सच्ची वाणी चाहिये।