(रमज़ान कोरा काग़ज़-१६) आपसी रंजिश ही सही दिल में मेरा ख़्याल रखते हों नफ़रत के लिबास में मोहब्बत पर सवाल रखते हो। न करते हो इजहार अपने दर्द का तुम किसी और से, बनाकर अश्क़ तुम पीने का हुनर कमाल रखते हों। बहता हैं जब लहू हमारा इस रंजिश के हवाले से, क्यों अपने आँगन में तुम इतना बवाल रखते हो? भला हुआ है क्या किसी का इन रंजिशों के चलते, तो भला क्यों रंजिश को जी का जंजाल रखते हों? अगर चाहो तो हैं मुमकिन हर अदावत को भुलाना, अपने ज़ेहन में जब मीठी यादों को संभाल रखते हो। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2022 #रमज़ानकोराकाग़ज़ #kkrआपसीरंजिश #kkrनज़्म_ए_वेदांतिका #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त