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पल्लव की डायरी नजरो को घुमाओ स्वर्गो की जन्नत फैल

पल्लव की डायरी

नजरो को घुमाओ
स्वर्गो की जन्नत फैली है
अंदाज जीने का बदलो
खुशियाँ हर जगह बिखरी पड़ी है
गले शिकवे को गले क्यों लगाते हो
इंतजाम बर्षो की दौलत जोड़ने में
अपने को तन्हा क्यों बनाते हो
लालचों से गठजोड़ कर
उम्र दाँव पर लगाते हो
छूट जाती है मस्ती हाजिर जबाबी उनकी
दबाबों में डूब जाती है
कोरे कागज की तरह जिंदगी
फीकी रह जाती है
                                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" अंदाज जीने का बदलो

#colours
पल्लव की डायरी

नजरो को घुमाओ
स्वर्गो की जन्नत फैली है
अंदाज जीने का बदलो
खुशियाँ हर जगह बिखरी पड़ी है
गले शिकवे को गले क्यों लगाते हो
इंतजाम बर्षो की दौलत जोड़ने में
अपने को तन्हा क्यों बनाते हो
लालचों से गठजोड़ कर
उम्र दाँव पर लगाते हो
छूट जाती है मस्ती हाजिर जबाबी उनकी
दबाबों में डूब जाती है
कोरे कागज की तरह जिंदगी
फीकी रह जाती है
                                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" अंदाज जीने का बदलो

#colours