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मैंने तेरे जिस्म को नहीं तेरी रूह को चाहा है! अब

मैंने तेरे जिस्म को नहीं तेरी रूह को चाहा है! 
अब कर वफा या दे कोई सिला परवाह नहीं,तू क्या-मै क्या एक ही तो हम-शाया हैं!!  आज फिर
मैंने तेरे जिस्म को नहीं तेरी रूह को चाहा है! 
अब कर वफा या दे कोई सिला परवाह नहीं,तू क्या-मै क्या एक ही तो हम-शाया हैं!!  आज फिर

आज फिर