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राम जब अयोध्या के राजा,वनवास पूरा करने के बाद बने

राम जब अयोध्या के राजा,वनवास पूरा करने के बाद बने तो गुप्त चर का काम वे स्वयं करते थे।
                    रात्रि में कंबल ओढ़ कर राज्य में घूमते थे और प्रजा की बात सुनकर निर्णय लेते थे।एक बार एक धोबी अपनी पत्नी को डांट रहा था कि मैं राम नहीं हूं कान खोलकर सुन लो।जिसने पराया मर्द रावण के पास सीता के रहने के बावजूद पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।  
                      राम ने जब अपनी कानों से यह बात सुनी, तो वे लौट आते।सुबह उन्होंने लक्ष्मण को बुलाया और कहा लक्ष्मण सीता को पुनः जंगल में जाकर ऋषि के आश्रम में छोङ़ आओ।
      यह क्यों कहां राम ने क्योंकि
Voice of the people is the voice of the god आम प्रजा की आवाज ही ईश्वर की आवाज़ हैं।राजा को प्रजा की आवाज पर ध्यान देना चाहिए।
                   ये था राम राज्य में प्रजा प्रधान का मंत्र।

©S Talks with Shubham Kumar प्रजा प्रधान
#NojotoRamleela
राम जब अयोध्या के राजा,वनवास पूरा करने के बाद बने तो गुप्त चर का काम वे स्वयं करते थे।
                    रात्रि में कंबल ओढ़ कर राज्य में घूमते थे और प्रजा की बात सुनकर निर्णय लेते थे।एक बार एक धोबी अपनी पत्नी को डांट रहा था कि मैं राम नहीं हूं कान खोलकर सुन लो।जिसने पराया मर्द रावण के पास सीता के रहने के बावजूद पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।  
                      राम ने जब अपनी कानों से यह बात सुनी, तो वे लौट आते।सुबह उन्होंने लक्ष्मण को बुलाया और कहा लक्ष्मण सीता को पुनः जंगल में जाकर ऋषि के आश्रम में छोङ़ आओ।
      यह क्यों कहां राम ने क्योंकि
Voice of the people is the voice of the god आम प्रजा की आवाज ही ईश्वर की आवाज़ हैं।राजा को प्रजा की आवाज पर ध्यान देना चाहिए।
                   ये था राम राज्य में प्रजा प्रधान का मंत्र।

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