दो प्रेमी भटक रहें ठंडी रात के अंधेरों में, आ गए खुले आसमान के नीचे मैदानों में। सहम गए थे शरद भरी ठिठुरती रात में, थम रही थी सांसे ठंडी हवा के झोकों में। शरद रात में एक दूजे का यहां था सहारा, जिधर भी देखो उधर ठंड का था नज़ारा। दहक उठी दो दिलो में आग की चिंगारी, ठिठुरन भरी रात फिर ऐसे ही थी गुजारी। जल गई थी प्यार की ज्वाला शरद रात में, गुजरी दिसंबर की यह रात बातों बातों में। #शरद रात#