क्या आप जानते हैं ? प्राचीन काल से ही भारत में यज्ञ और हवन की सनातन परंपरा रही है, वेदों के अनुसार अग्निहोत्र उतना ही जरूरी है, जितना जीने के लिए पानी। यही कारण था कि प्राचीनकाल में दो समय का अग्निहोत्र करना हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग था। हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ हैं, जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती हैं। हवन सामग्री में कस्तूरी, केसर, अगर, तगर, चंदन, जटामांसी, इलायची, तुलसी, जायफल, जावित्री, कपूर व कपूर कचरी, गुग्गल, नागरमोथा, घी, फल, कंद, चावल, जौ, गेहूं, शहद, शक्कर, किशमिश, छुआरा, गिलोय, आदि पदार्थो का उपयोग प्रमुख रूप से किया जाता है। ये सभी औषधियां वायु को शुद्ध करती हैं, साथ ही, इनके प्रभाव से बीमारियों का नाश भी होता है। यज्ञ विशेष उद्देश्य से देवी-देवताओं दी जाने वाली आहुति है एवं हवन हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है। ©KhaultiSyahi #khoj #havan #Yagna #Prayers #khaultisyahi #praytoparmatma #Life #Life_experience #om_namah_shivay #Bhagwan