माँझी हौसला लिए चल पड़ा वह पहाड़ सा प्रण ज़ाहिर किया सिंह की दहाड़ सा गाँव से शहर की बीच की जो दूरी थी पहाड़ पार कर जाना ही मज़बूरी थी वो पहाड़ फिर उसकी प्रियतमा को निगल गया