खुद की तलाश में निकले तो अंजाम तक पहुंचे ही नहीं खुद को हम मिले ही नहीं और खुद से भी मिले नहीं ऐसा क्या है जो मुझमें ही आजतक मुझे मिला नहीं पता औरो से चला मुझे मेरी खूबी, मेरी खामी खुद आजतक मुझे मेरा ऐब पता चला ही नहीं। सफर जारी है अब भी खुद को ढूंढने की, रास्ता है कितनी दूर ये मुझे पता अब भी नही ढूंढ पाई खुद को तो सार्थक है जिंदगी वरना जीने का मकसद संच में पता नही पता नही।। ©Pinki Singh #arabianhorse #poem #Nojoto #newthought