जिसे मैं जी भर के पढ़ना चाहूँ, ऐसी कोई किताब हो तुम। हर पल जिसपे मैं नज़र रखूँ, वो कीमती हिसाब हो तुम। हर पल तुम्हारी सोच में डूबा, ख़यालों में ढूँढ़ता फिरता हूँ। नींद में भी जिसका इंतज़ार है मुझे, वो हसीं ख़्वाब हो तुम। चाँद की चाँदनी की क्या तारीफ करूँ, कम लगती है तुमसे। जिसके बिखरने का इंतज़ार है मुझे, वो नूर-ए-महताब हो तुम। फूल तो मैंने बहुत देखे हैं, पर तुम्हारी खुशबू का जबाब नहीं। जिसकी खुशबू का रहता इंतज़ार मुझे, वो फूल गुलाब हो तुम। तुम्हारे क़सीदे में अब और क्या कहूँ, शब्द कम पड़ जाएंगे। जिसकी तारीफ ख़ुदा भी करता है, इतनी लाजबाब हो तुम। ♥️ Challenge-547 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 📖 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।