कुत्ते से कुत्ता, सुअर से सुअर, बिल्ली से बिल्ली, हाथी से हाथी पैदा होता है... ठीक उसी तरह हिन्दु व्यवस्था में नाई के घर नाई, धोबी के घर धोबी, चमार के घर चमार, लोहार के घर लोहार, गड़रिये के गड़रिया, डोम के घर डोम, कहार के घर कहार पैदा होता था... किन्तु जब बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, तब मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था में, नाई के घर डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, पीसीएस, शिक्षक गड़रिये के घर डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, मास्टर, आईएएस, पीसीएस, प्रोफेसर मोची के घर डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, आइएएस, पीसीएस, धोबी के घर भी इंजीनियर, डॉक्टर, प्रोफेसर, आइएएस, पीसीएस पैदा होने लगे हैं औऱ लगातार बढ़ते जाएंगे। यानी कि भारतीय संविधान लागू होने से पहले हम जानवरों की तरह थे, मगर संविधान लागू होने के बाद ही हमें वास्तव में इंसान का दर्जा मिला.. तो तोड़ दो सारे जात-पात के बंधन, मोड़ दो कदमों का रुख विकास की ओर, तोड़ दो ये पाखण्ड की बेड़ियाँ.. बहुत मर लिए यूं घुट-घुट कर अब वक्त है ताजी हवाओं में आजादी की सांस लेने का। आज तो हम अकेले है इस नास्तिकता की आजादी में मगर विश्वास है एक से दो, दो से चार होते-होते एक दिन मेरे समाज का नाम सबसे आगे सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.. अब फैसला आप को करना है कि आप मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था में रहेंगे या जानवरों मे...?? 🙏 जय भीम जय भारत जय संविधान🙏 मनोज बुद्ध #sanvidhan rachak