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सारे दफ्तर हैं भरे हुए भ्रष्टाचारी आकाओं से ,जनता

सारे दफ्तर हैं भरे हुए भ्रष्टाचारी आकाओं से ,जनता सब की सब पीड़ित है उनकी ऐसी सेवाओं से।हैं नियम ताक पर रखे हुए, कागज को अस्त्र बनाया है।  हो गए हुकुम सब तार-तार अपनों का काम कराया है। हैं नियमों की जो  आड लिए लेटलतीफी करते हैं, बागडोर उनके हाथों जो खुद की जेबे भरते हैं।तय  किसी काम का समय नहीं ,खुद की मनमर्जी चलती है। सरकारी दफ्तर नाम के हैं, सरकार उन्ही की चलती है ।जांच वही कर जाते हैं जिनकी खुद जाचे  होनी हैं । इंस्पेक्टर ऐसे बनते हैं जैसे कोई बाधा टाली हो, मानो रखवाली दूध की बिल्ली को दे डाली हो। बहुत हो चुका मोदी जी  भ्रष्टाचारी का अंत  करो हुक्मरानों से हक छीनो ,या उनकी सेवा बंद करो।
सारे दफ्तर हैं भरे हुए भ्रष्टाचारी आकाओं से ,जनता सब की सब पीड़ित है उनकी ऐसी सेवाओं से।हैं नियम ताक पर रखे हुए, कागज को अस्त्र बनाया है।  हो गए हुकुम सब तार-तार अपनों का काम कराया है। हैं नियमों की जो  आड लिए लेटलतीफी करते हैं, बागडोर उनके हाथों जो खुद की जेबे भरते हैं।तय  किसी काम का समय नहीं ,खुद की मनमर्जी चलती है। सरकारी दफ्तर नाम के हैं, सरकार उन्ही की चलती है ।जांच वही कर जाते हैं जिनकी खुद जाचे  होनी हैं । इंस्पेक्टर ऐसे बनते हैं जैसे कोई बाधा टाली हो, मानो रखवाली दूध की बिल्ली को दे डाली हो। बहुत हो चुका मोदी जी  भ्रष्टाचारी का अंत  करो हुक्मरानों से हक छीनो ,या उनकी सेवा बंद करो।