अपने हाल का मुरीद उसने बनाया नही मुझको गला बैठ गया चिल्ला-चिल्लाकर पलट कर देखा ही नही मुझको तो उस पल सोचा ही नही था की वक़्त ऐसा भी आएगा मैं गर्मी में तप रहा हूँगा वो गिलास में ठंडा पानी लाएगा दो घूँट गले में उतारा ही हूँगा भरी बाल्टी से मुझे भिगोएगा तब जाकर एक बात जहन में बैठ गयी माना कि लाख ज़ुल्म किये उसने मुझपर मगर गर्दिश में अकेला न कभी छोड़कर मुझको जाएगा ।। #खाश$सख्श के लिए #खाश@ पैगाम ..