Nojoto: Largest Storytelling Platform

इस संसार मे निस्वार्थ भाव से कुछ होने जैसा है ही न

इस संसार मे निस्वार्थ भाव से कुछ होने जैसा है ही नही (नाममुकिन), 
जैसे कि एक साधु तपस्या करता है तो उसमे उसका स्वार्थ है ईश्वर को पाना,
कोई सेवा करता है तो उसमे उसका स्वार्थ है पीड़ितों के आशीर्वाद को पाना, 
एक माँ का बच्चे के प्रति प्रेम उसमे उसका स्वार्थ है बड़ा होकर उसका ध्यान रखेगा,
या फिर उसने उसकी कोख से जन्म लिया है,
फिर ये नवयुवक व नवयुवतियों (प्रेमी युगल) वाले
प्रेम में निस्वार्थ वाली बात ही नही पनपती, 
हाँ ये मान सकते है कि उसको उसके जिस्म की कोई लालच नही पर उसमे उसका स्वार्थ होता है खुद की खुशियों को पाना उसके साथ समय बिताना, (मौज मस्ती करना),,

©Pravin Vyas #निस्वार्थ_प्रेम 

#waiting
इस संसार मे निस्वार्थ भाव से कुछ होने जैसा है ही नही (नाममुकिन), 
जैसे कि एक साधु तपस्या करता है तो उसमे उसका स्वार्थ है ईश्वर को पाना,
कोई सेवा करता है तो उसमे उसका स्वार्थ है पीड़ितों के आशीर्वाद को पाना, 
एक माँ का बच्चे के प्रति प्रेम उसमे उसका स्वार्थ है बड़ा होकर उसका ध्यान रखेगा,
या फिर उसने उसकी कोख से जन्म लिया है,
फिर ये नवयुवक व नवयुवतियों (प्रेमी युगल) वाले
प्रेम में निस्वार्थ वाली बात ही नही पनपती, 
हाँ ये मान सकते है कि उसको उसके जिस्म की कोई लालच नही पर उसमे उसका स्वार्थ होता है खुद की खुशियों को पाना उसके साथ समय बिताना, (मौज मस्ती करना),,

©Pravin Vyas #निस्वार्थ_प्रेम 

#waiting