दिन हूं, रात हूं, सांझ वाली बाती हूं, मैं Aspirant हूं. आंधी में, तूफान में, होली में, रमजान में, देश के सम्मान में, अडिग कर्तव्यों की, अविचल परिपाटी हूं, मैं Aspirant हूं.. ©pradhan Choudhary #Hope