ज़िंदगी की रुसवाईयों को बैठकर लिखा जाना ज़रूरी नहीं था ज़ुबां से हर बात तुमको बता देना ज़रूरी नहीं था रह जाते हैं कुछ अश्क बस आंखों में जज़्बातों को आंसुओं की शक्ल देना ज़रूरी नहीं था ज़ुनून-ए-हद को पार करना ज़रूरी नहीं था तुझे हर बार याद करना ज़रूरी नहीं था लफ्ज़ों की तीरगी से किसी को घायल करना मोहब्बत नहीं ख़ुद की खुशी के लिए किसी की ज़िंदगी को ख़ल्क करना ज़रूरी नहीं था...🌿 ©sumitkumarpandey #difficulties #ज़रूरी_नहीं_था