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❤️.................. यादें ...................❤️

❤️.................. यादें ...................❤️ 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है,
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है..............2
समझ नहीं आता कैसे सम्भालूं इस दिल को, 
ये दिल तो तेरी यादों पे अड़ गया है।। 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़  गया है, 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है............ 
सहारा लेता हूं चाय और एक सिगरेट का,
पर ये दिल तो तेरी लबों कि मुस्कराहट पे अड़ गया है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है, 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है............. ।। 
तेरी चाहत का पैमाना समझ नहीं आता, तो दिमाग ने दूर जाने की ख्वाहिश की है,
पर दिल तो आख़िर दिल है, एक बार फिर, 
मेरा दिल, मेरे दिमाग से लड़ गया है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है, 
दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है..........।। 
समझा लो न अपनी यादों को क्यूँ हमें इतना परेशान करती हैं, 
ये दिल तेरी यादों कि आदत में पड़ गया है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है.......... ।। 
कुनबे की उलझनों में मसरूफ है वो शायद, या हम आते ही नहीं उसके ख्यालों में, 
कोई उनसे बोलो कि हमे भी थोड़ा याद कर लें, 
आज दिल फिर उनके ख्यालों के आसमाँ में उड़ रहा है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है, 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है......... ।।
                                               - sm awasthi #यादें
❤️.................. यादें ...................❤️ 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है,
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है..............2
समझ नहीं आता कैसे सम्भालूं इस दिल को, 
ये दिल तो तेरी यादों पे अड़ गया है।। 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़  गया है, 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है............ 
सहारा लेता हूं चाय और एक सिगरेट का,
पर ये दिल तो तेरी लबों कि मुस्कराहट पे अड़ गया है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है, 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है............. ।। 
तेरी चाहत का पैमाना समझ नहीं आता, तो दिमाग ने दूर जाने की ख्वाहिश की है,
पर दिल तो आख़िर दिल है, एक बार फिर, 
मेरा दिल, मेरे दिमाग से लड़ गया है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है, 
दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है..........।। 
समझा लो न अपनी यादों को क्यूँ हमें इतना परेशान करती हैं, 
ये दिल तेरी यादों कि आदत में पड़ गया है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है.......... ।। 
कुनबे की उलझनों में मसरूफ है वो शायद, या हम आते ही नहीं उसके ख्यालों में, 
कोई उनसे बोलो कि हमे भी थोड़ा याद कर लें, 
आज दिल फिर उनके ख्यालों के आसमाँ में उड़ रहा है, 
तेरी यादों का दायरा कुछ यूं बढ़ गया है, 
कि दिल के साथ साथ दिमाग में चढ़ गया है......... ।।
                                               - sm awasthi #यादें