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धानी चादर ओढ़ हुई धरा प्रफ्फुलित मानव अपने कृत्यों

धानी चादर ओढ़ हुई धरा प्रफ्फुलित
मानव अपने कृत्यों से करता उसे कुपित
जोली, पीटर, रबीना, रहीम, सीता मोहन
सब करते हैं धरा के संसाधनों का दोहन।
रोको दोहन,कहीं ना टूटे धैर्य प्रकृति का
बदलना होगा हमें रवैया विनाश प्रवृति का

©Kamlesh Kandpal
  #prkriti