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दिन की तल्ख़ी पे दस्ते सुख़न रखती है माँ का दिल ये ढ

दिन की तल्ख़ी पे दस्ते सुख़न रखती है
माँ का दिल ये ढलती साँझ रखती है
सुहाने किस्से की तरह हौले से बढ़ती है
माँ की मुस्कान के जैसे भली लगती है
थाम लेती है अपने आँचल में भरती है
चूमकर माथा माथे पे चाँद रखती है
देहरी पर ख़ुद जैसे कि दिया जलती है
इसके दम से अँधेरी रात यों निखरती है
कभी तो नाव कोई नदी के तीर-तीर
कभी पानी पे ठहरी हुई तस्वीर लगती है
धीरे-धीरे लिए सात रंग घुलती चलती है
सहेली जैसे कोई हिल-मिल के बातें करती है

 #toyou #yqevenings #yqnights #yqmummy #yqlove #yqwithyou
दिन की तल्ख़ी पे दस्ते सुख़न रखती है
माँ का दिल ये ढलती साँझ रखती है
सुहाने किस्से की तरह हौले से बढ़ती है
माँ की मुस्कान के जैसे भली लगती है
थाम लेती है अपने आँचल में भरती है
चूमकर माथा माथे पे चाँद रखती है
देहरी पर ख़ुद जैसे कि दिया जलती है
इसके दम से अँधेरी रात यों निखरती है
कभी तो नाव कोई नदी के तीर-तीर
कभी पानी पे ठहरी हुई तस्वीर लगती है
धीरे-धीरे लिए सात रंग घुलती चलती है
सहेली जैसे कोई हिल-मिल के बातें करती है

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