खूब महकी हूं, जी भर के चहकी हूं, मैं चिड़िया तेरे आंगन की, ना ब्याहना बाबुल मुझे, रूठ जाएंगी सब सखियां मेरे बचपन की, तुम ही तो कहते हो,तेरी छोटी सी गुड़िया हूं मैं, देख कितनी प्यारी हूं मैं, फिर क्यों, मुझे ब्याह कर मेरी खुशियों को नज़र लगाना चाहते हो, पल भर में तोड़कर मुझसे ताल्लुक, मेरे बचपन की याद मिटाना चाहते हो, क्यों अपने जिगर के टुकड़े को नजरों से दूर कर,शहरी बाबू के अंगना सजाना चाहती हो। एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें:- 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 12 🎀 शीर्षक- "बाबुल ना जाना शहरी बाबू के अंगना...!" 🎀 समय सीमा- आज शाम 6 बजे तक।