लेती नहीं दवाई "माँ", जोड़े पाई-पाई "माँ"। दुःख थे पर्वत, राई "माँ", हारी नहीं लड़ाई "माँ"। दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमागर्म रजाई "माँ" । जब भी कोई रिश्ता उधड़े, करती है तुरपाई "माँ" । नाम सभी हैं गुड़ से मीठे, मां जी, मैया, माई, "माँ" । सभी साड़ियाँ छीज गई थीं, मगर नहीं कह पाई "माँ" । घर में चूल्हे मत बाँटो रे, देती रही दुहाई "माँ"। लड़ते-लड़ते, सहते-सहते, रह गई एक तिहाई "माँ" । "माँ" से घर, घर लगता है, घर में घुली, समाई "माँ" । दर्द बड़ा हो या छोटा हो, याद हमेशा आई "माँ"। घर के शगुन सभी "माँ" से, है घर की शहनाई "माँ"। सभी पराये हो जाते हैं, होती नहीं पराई "मां " आप सभी को #मातृ_दिवस की शुभकामनाएं