दर्द में रहते हो क्यों क्या खुदाई से भरोसा उठ चला है या रहनुमाई वक्त सा बदला हुआ है कुछ तो बोलो लव ये खोलो खामोशियाँ लेके यहां रहते हो क्यों हस्र के दिन सच कहने की तौफ़ीक़ न खो हंगामे वापे से यूँ डरते हो क्यों जब हक़ीक़त सामने अपनी रखोगे आज़ाद हो आज़ाद सा सबको दिखोगे वक़्त की जालिम हवा रुख़ मोड़ लेगी खामखां परछाइयाँ से डरते हो क्यों ज़ुल्म सहते हो क्यों? क्या तुम्हें बोलने की इजाज़त नहीं? ये अँधेरा घना है मगर देर तक इसकी रहती हुकूमत नहीं। #ज़ुल्म #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi