मैं खड़ी खामोश किसी राह मैं तेरी राह ताकते थकती नहीं में तेरा इंतजार करते एक दिन पूछ ही लिया उस चांद ने फलक से झांकते क्यों हर रोज़ तुम यहां रुक जाती हो चलते चलते क्यों तुम रातें गुजारती हो मुझे ताकते क्या तुम थकती नहीं उसका इंतज़ार करते मैं और मेरा चांद 🌝🌝