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जज़्बात - कोई समझ ना पाया, सपना - अधूरा ही रहा ! आ

जज़्बात - कोई समझ ना पाया,
सपना - अधूरा ही रहा ! 
आदर - किसीने लायक ना समजा,
हौसला - गँवाया ही नहीं !
सफ़र - हाथ कभी पकड़ ना पाई,
रिश्ता - खुद ही ढोती रही, Nidhi
समझ - आते ही उम्र ढल गई,
ख़याल - ख़ुद का किया ही नहीं !
हँसी - ख़ुद के लिए होती ही नहीं,
आँखें - तकलीफ़में भी अब रोती ही नहीं ! #आदर #nanhikalam
जज़्बात - कोई समझ ना पाया,
सपना - अधूरा ही रहा ! 
आदर - किसीने लायक ना समजा,
हौसला - गँवाया ही नहीं !
सफ़र - हाथ कभी पकड़ ना पाई,
रिश्ता - खुद ही ढोती रही, Nidhi
समझ - आते ही उम्र ढल गई,
ख़याल - ख़ुद का किया ही नहीं !
हँसी - ख़ुद के लिए होती ही नहीं,
आँखें - तकलीफ़में भी अब रोती ही नहीं ! #आदर #nanhikalam