तू ज़ेहन में मिरे थी इक उम्र से समाई, ये और बात है के सदियों के बाद आई, ये ज़िन्दगी बनी है दरिया ए मौज मस्ती, जब से मिली है यारा सूरत तिरी ख़ुदाई, आया फ़िज़ा का मौसम करती 'गगास' कलकल, कुदरत भी आज लगती इक रंग में रंगाई, मैं नाम भी तो क्या इस रिश्ते का दूँ जहाँ में, मुहब्बत बनाई सादिक़ या दोस्ती बनाई। मुहब्बत या दोस्ती #yqhindi #yqhindiurdu #yqdidi #yqbaba