बिछाये थे राह में उनके फूल गुलाब के ....... सुबह के वक़्त हम भी लुफ्त उठा रहे थे ख्वाब के ....... ना जाने कहा से उन्हें एक कांटा चुभ गया ..... मैं भी कम्बक्त सपना बीच में छोड़ के उठ गया ..... -यश बंसल #muhabbat_ke_sapne #Bansal_diaries