तितली जरुर हूँ लेकिन फूल का रस लिया। किसी फूल को बर्बाद नहीं किया। फूलों का नहीं किया शोषण। फूलों का बढ़ाया आकर्षण। चूसते जरूर हैं पुष्प से रस। इससे फूल नहीं होता निरस। तितली की चाहत है प्रेम रस। जरुरी है हरदम जीवन में प्रेम का परम रस। कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता जीवन में प्रेम का परम रस