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जाने चंदा से रूठी है क्यों चांदनी नींद भी रूठ बैठ

जाने चंदा से रूठी है क्यों चांदनी 
नींद भी रूठ बैठी मेरी आँख से !
रूठी रूठी ये सारी फिजायें लगीं
रूठ बैठा भृमर भी कमल पाँख से !
क्या हुआ है तुम्हें या नज़र है लगी
दिल में उतरे हो अब बनके एहसास से !
 आसमान में बादल बनकर याद तेरी अब छाई है
बिजली गुल है खूब तड़प है कीट पतंगे मच्छर भँवरे
सबने राग सुनाई है
कित जाके जा बैठी बैरन क्या मुझसे भी रुसवाई है !
😔😔😔😔😔😔😔💕💕💕🙏🙏🙏🍨🍨🍨🍨शुभरात्री 😔😔😔😔
#komal sharma
जाने चंदा से रूठी है क्यों चांदनी 
नींद भी रूठ बैठी मेरी आँख से !
रूठी रूठी ये सारी फिजायें लगीं
रूठ बैठा भृमर भी कमल पाँख से !
क्या हुआ है तुम्हें या नज़र है लगी
दिल में उतरे हो अब बनके एहसास से !
 आसमान में बादल बनकर याद तेरी अब छाई है
बिजली गुल है खूब तड़प है कीट पतंगे मच्छर भँवरे
सबने राग सुनाई है
कित जाके जा बैठी बैरन क्या मुझसे भी रुसवाई है !
😔😔😔😔😔😔😔💕💕💕🙏🙏🙏🍨🍨🍨🍨शुभरात्री 😔😔😔😔
#komal sharma