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हां मैं बहुत लाचार हूं पर मैं कर कुछ नहीं सकता म

हां मैं बहुत लाचार हूं 
पर मैं कर कुछ नहीं सकता
 मुझे बनाने वाले ने बहुत सी खूबियों से 
बहुत से गुणों से सजाया है मुझे 
पर मेरे ऐ दोस्त 
हर नायाब चीज़ अच्छी नहीं होती 
ठीक वैसे ही मैं हूं 
मैं लाचार हूं बेबस हूं
 मैं जानता हूं सब कुछ
 पर कुछ कह नहीं पाता 
कुछ बता नहीं पाता
हर चीज का मैंने कुछ ना कुछ लिया 
घड़ी का समय में निकल गया 
टॉर्च की रोशनी में खा गया 
दुनिया की लगभग 
सारी किताबों का ज्ञान मैंने लिया 
रेडियो के सुरीले गाने भी मैंने गाए 
समाचार एक बटन से दुनिया को बताया
 इतने में भी भरा पूरा नहीं तो 
पूरी टीवी मैं खा गया
 हजारों मिलो की दूरियों को
 मैंने मिनटों में मिटा डाला 
पर पल भर की दूरी को 
मैंने मिलो मैं बदल दिया

©Manju Sharma 'kanti'
  मोबाइल-1

मोबाइल-1 #कविता

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