वो जानता है क्या?
क्या है मेरी दिली ख़्वाहिश, वो जानता है क्या?
एक अनजाना शहर, अनजाने लोग, और अनजान हो चुकी यादें। सफर कम हो पर यादगार हो।रहम दिल में हो और मोहब्बत दिमाग में। बस इतनी सी ख़्वाहिश, वो जानता है क्या? खैर छोड़ो.. मोहब्बत इतनी रही अब उससे-2 की बीत जाएगी जीवन उसके यादों के सहारे। कोई और बसता नही यहाँ। वो जानता है क्या? उसने उम्मीद दी वक़्त आने की। कई उम्मीदें गुजर गयीं वो वक़्त आने में।दिल टूटा कई बार, फिरसे उम्मीद बनी।फिर वक़्त गुजर गई वो उम्मीद बनाने में। वो जानता है क्या?