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संतप्त कवि *************************** तरुण कलम का

संतप्त कवि
***************************
तरुण कलम का वह कर्ता है।
व्यथित हृदय की भावुकता है।
कवि-अंतर्मन कौन टटोले,
कैसे रोकर वह लिखता है?

दु:खी देखता जब पर-जन को,
परिजन अपना उन्हें समझता,
उनके अति संताप विकट दु:ख, 
हर पीड़ा को निजी मानता।

संतप्त दृगों से वह पढ़ता है
निर्दय हृदय बसी जड़ता है।
अश्रुपूर्ण हृत क्लान्त भाव को,
सरस हृदय कवि ही लिखता है।
अरुण शुक्ल अर्जुन
 प्रयागराज 
(पूर्णत:मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित) #feelingsad
#humanlife is water bubble
 Kanishk  Deepak Khansuli Main Shayar To Nahin (Shiv) Sha Riq Sher-o-shayeri Ammar Hassan
संतप्त कवि
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तरुण कलम का वह कर्ता है।
व्यथित हृदय की भावुकता है।
कवि-अंतर्मन कौन टटोले,
कैसे रोकर वह लिखता है?

दु:खी देखता जब पर-जन को,
परिजन अपना उन्हें समझता,
उनके अति संताप विकट दु:ख, 
हर पीड़ा को निजी मानता।

संतप्त दृगों से वह पढ़ता है
निर्दय हृदय बसी जड़ता है।
अश्रुपूर्ण हृत क्लान्त भाव को,
सरस हृदय कवि ही लिखता है।
अरुण शुक्ल अर्जुन
 प्रयागराज 
(पूर्णत:मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित) #feelingsad
#humanlife is water bubble
 Kanishk  Deepak Khansuli Main Shayar To Nahin (Shiv) Sha Riq Sher-o-shayeri Ammar Hassan