Nojoto: Largest Storytelling Platform

छंदमुक्त सृजन #बंदिशें# 30.08.2020 दिन - रविवार 💗

ए-दिल
नादाँ मेरे..
क्यों ख़फा है खुद से...
वफ़ा पहचान
अपनी अना की..
कोई भी बंदिशें
रोक नहीं सकती
अपने मन को..
यकीं इक बार अपने होने का
फिर सोच अपनों के खोने का
सारी खुशी नहीं होती अपनी
कुछ हिस्सें में ज़माने की नज़रें
पैरों में बेड़ियां नहीं होती..
क्योंकि बंदिशें इतनी बड़ी नहीं होती
हां, कुछ हदों में जीवन मुमकिन
माना कुछ हदों में जीना नामुमकिन
फिर इक सच यही.. 
तोड़ जाती या टूट जाती है बंदिशें
समय की गति में, 
सामाजिक व्यथा में..
चाहतों औ ख्वाहिशों की हदों में
आंक लेते स्वयं को अपने हदों में
बना लेते अपनी खुशी, 
अपनों के रहनुमा का घर
समझौता नहीं करते स्वयं से
स्वीकारते है स्वयं एहसासों को
लेकिन बंदिशें नही लगा सकती...
स्वयं के मन औ अपने होने के अस्तित्व को..
कि नंदिता प्रेम ने कहा, प्रेम से सुना
प्रेम में निभाया... जीवन के यकीं को..
बंदिशें वो होती जो उठा सके नज़र में...औ गिरा नही सकती स्वयं को किसी के नज़र में...!!

#मेरी रुह@
#नंदिता@


#loveconvo

ए-दिल नादाँ मेरे.. क्यों ख़फा है खुद से... वफ़ा पहचान अपनी अना की.. कोई भी बंदिशें रोक नहीं सकती अपने मन को.. यकीं इक बार अपने होने का फिर सोच अपनों के खोने का सारी खुशी नहीं होती अपनी कुछ हिस्सें में ज़माने की नज़रें पैरों में बेड़ियां नहीं होती.. क्योंकि बंदिशें इतनी बड़ी नहीं होती हां, कुछ हदों में जीवन मुमकिन माना कुछ हदों में जीना नामुमकिन फिर इक सच यही.. तोड़ जाती या टूट जाती है बंदिशें समय की गति में, सामाजिक व्यथा में.. चाहतों औ ख्वाहिशों की हदों में आंक लेते स्वयं को अपने हदों में बना लेते अपनी खुशी, अपनों के रहनुमा का घर समझौता नहीं करते स्वयं से स्वीकारते है स्वयं एहसासों को लेकिन बंदिशें नही लगा सकती... स्वयं के मन औ अपने होने के अस्तित्व को.. कि नंदिता प्रेम ने कहा, प्रेम से सुना प्रेम में निभाया... जीवन के यकीं को.. बंदिशें वो होती जो उठा सके नज़र में...औ गिरा नही सकती स्वयं को किसी के नज़र में...!! #मेरी रुह@ #नंदिता@ #loveconvo

72 Views