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बहुत खुबसूरत लगता है वो पल, जब हो सतरंगी संध्या स

बहुत खुबसूरत लगता है वो पल,
 जब हो सतरंगी संध्या समुद्र का किनारा,
बैठे है अकेले इस सौंधी सौंधी रैत पर ओर दूर न हो कोई अजनबी हलचल।
बहुत खुबसूरत लगता है वो पल।
जी करता है कि अपनी खामोशीयो से थोड़ा झगड लू,
 अपने डर के चोला को उतार फेक दू, 
अपने आसुओ को समुद्र में विसर्जित कर दू,
अपनी पहचान को स्वाभिमान मे तब्दील कर दू,
बैठे रहे कुछ देर वो पल,
बहुत खुबसूरत लगता है वो पल।
जलता हुआ अग्नि ओर शीतल सा जल ,
दूर से लगे हो कोई अदभुत संगम,
गरजते हुए लहरें ओर हवाओ का संयम,
ये वादिया है जिदंगी के सारांश,
इन सारासं को अपने दिल में समेत ले चल,
बहुत खुबसूरत लगता है वो पल। #@sarita#
बहुत खुबसूरत लगता है वो पल,
 जब हो सतरंगी संध्या समुद्र का किनारा,
बैठे है अकेले इस सौंधी सौंधी रैत पर ओर दूर न हो कोई अजनबी हलचल।
बहुत खुबसूरत लगता है वो पल।
जी करता है कि अपनी खामोशीयो से थोड़ा झगड लू,
 अपने डर के चोला को उतार फेक दू, 
अपने आसुओ को समुद्र में विसर्जित कर दू,
अपनी पहचान को स्वाभिमान मे तब्दील कर दू,
बैठे रहे कुछ देर वो पल,
बहुत खुबसूरत लगता है वो पल।
जलता हुआ अग्नि ओर शीतल सा जल ,
दूर से लगे हो कोई अदभुत संगम,
गरजते हुए लहरें ओर हवाओ का संयम,
ये वादिया है जिदंगी के सारांश,
इन सारासं को अपने दिल में समेत ले चल,
बहुत खुबसूरत लगता है वो पल। #@sarita#
saritayadav4638

sarita yadav

New Creator

#@sarita#