मिलन की बेला में, चाँद के पार आया है वो आज,अपना वादा निभाने भय से लड़कर, कान्हा सा अल्हड़ बन आया है वो आज, इक मुस्कान सजाने माया का बाँध तोड़े, हृदय में प्रीत लिए आया है वो आज, मृगतृष्णा मिटाने रात के आलिंगन में, प्रेम का घड़ा लिए आया है वो आज, मन की आग बुझाने (कैप्शन में पढ़ें) मिलन की बेला में, चाँद के पार आया है वो आज,अपना वादा निभाने भय से लड़कर, कान्हा सा अल्हड़ बन आया है वो आज, इक मुस्कान सजाने माया का बाँध तोड़े, हृदय में प्रीत लिए आया है वो आज, मृगतृष्णा मिटाने