Nojoto: Largest Storytelling Platform

।। ॐ ।। वा॒युरनि॑लम॒मृत॒मथे॒दं भस्मा॑न्त॒ꣳ शरी॑रम्

।। ॐ ।।
वा॒युरनि॑लम॒मृत॒मथे॒दं भस्मा॑न्त॒ꣳ शरी॑रम्। 
ओ३म् क्रतो॑ स्मर। क्लि॒बे स्म॑र। कृ॒तꣳ स्म॑र ॥१५ ॥

पद पाठ
वा॒युः। अनि॑लम्। अ॒मृत॑म्। अथ॑। इ॒दम्। भस्मा॑न्त॒मिति॒ भस्म॑ऽअन्तम्। शरी॑रम् ॥ ओ३म्। क्रतो॒ इति॒ क्रतो॑। स्म॒र॒। क्लि॒बे। स्म॒र॒। कृ॒तम्। स्म॒र॒ ॥


हे (क्रतो) कर्म करनेवाले जीव ! तू शरीर छूटते समय (ओ३म्) इस नामवाच्य ईश्वर को (स्मर) स्मरण कर (क्लिबे) अपने सामर्थ्य के लिये परमात्मा और अपने स्वरूप का (स्मर) स्मरण कर (कृतम्) अपने किये का (स्मर) स्मरण कर। इस संस्कार का (वायुः) धनञ्जयादिरूप वायु (अनिलम्) कारणरूप वायु को, कारणरूप वायु (अमृतम्) अविनाशी कारण को धारण करता (अथ) इसके अनन्तर (इदम्) यह (शरीरम्) नष्ट होनेवाला सुखादि का आश्रय शरीर (भस्मान्तम्) अन्त में भस्म होनेवाला होता है, ऐसा जानो ॥

O (krato) living beings!  When you are leaving the body (O3M), remember this invisible God (Smir) (Kliebe) for your power, remember the divine and your form (Smara), (Kritam), remember your work (Smrit).  The (Vayu) of this sacrament is the Dhanjjyaadirupa Vayu (Anilam) because of the Vayu (Causal Vayu) (Amritam) holding the imperishable Cause (meaning) its inner (Idam) This (body) the destroying body (Suhasadi) of the destroying Sukhadi  Know what happens

ईशोपनिषद मंत्र १५ #ishopanishad #उपनिषद #जीवनमंत्र #मरणमंत्र #सत्य
।। ॐ ।।
वा॒युरनि॑लम॒मृत॒मथे॒दं भस्मा॑न्त॒ꣳ शरी॑रम्। 
ओ३म् क्रतो॑ स्मर। क्लि॒बे स्म॑र। कृ॒तꣳ स्म॑र ॥१५ ॥

पद पाठ
वा॒युः। अनि॑लम्। अ॒मृत॑म्। अथ॑। इ॒दम्। भस्मा॑न्त॒मिति॒ भस्म॑ऽअन्तम्। शरी॑रम् ॥ ओ३म्। क्रतो॒ इति॒ क्रतो॑। स्म॒र॒। क्लि॒बे। स्म॒र॒। कृ॒तम्। स्म॒र॒ ॥


हे (क्रतो) कर्म करनेवाले जीव ! तू शरीर छूटते समय (ओ३म्) इस नामवाच्य ईश्वर को (स्मर) स्मरण कर (क्लिबे) अपने सामर्थ्य के लिये परमात्मा और अपने स्वरूप का (स्मर) स्मरण कर (कृतम्) अपने किये का (स्मर) स्मरण कर। इस संस्कार का (वायुः) धनञ्जयादिरूप वायु (अनिलम्) कारणरूप वायु को, कारणरूप वायु (अमृतम्) अविनाशी कारण को धारण करता (अथ) इसके अनन्तर (इदम्) यह (शरीरम्) नष्ट होनेवाला सुखादि का आश्रय शरीर (भस्मान्तम्) अन्त में भस्म होनेवाला होता है, ऐसा जानो ॥

O (krato) living beings!  When you are leaving the body (O3M), remember this invisible God (Smir) (Kliebe) for your power, remember the divine and your form (Smara), (Kritam), remember your work (Smrit).  The (Vayu) of this sacrament is the Dhanjjyaadirupa Vayu (Anilam) because of the Vayu (Causal Vayu) (Amritam) holding the imperishable Cause (meaning) its inner (Idam) This (body) the destroying body (Suhasadi) of the destroying Sukhadi  Know what happens

ईशोपनिषद मंत्र १५ #ishopanishad #उपनिषद #जीवनमंत्र #मरणमंत्र #सत्य