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क्यों तरसाये कारी बदरिया आँख मिचौली खेले भरी दुपहर

क्यों तरसाये कारी बदरिया
आँख मिचौली खेले भरी दुपहरिया
झूला झूलावन मोहे आये सँवरिया
आ जाओ अब कारे-कारे बदरिया।
मोहे भा रही अब हरी-हरी चुड़ियाँ
वन उपवन हरियाली ले आओ रे
प्यारे मेघा नभ छा जाओ रे 
मस्त मल्हार सखियन गाओ रे। बरसो मेघा
क्यों तरसाये कारी बदरिया
आँख मिचौली खेले भरी दुपहरिया
झूला झूलावन मोहे आये सँवरिया
आ जाओ अब कारे-कारे बदरिया।
मोहे भा रही अब हरी-हरी चुड़ियाँ
वन उपवन हरियाली ले आओ रे
प्यारे मेघा नभ छा जाओ रे 
मस्त मल्हार सखियन गाओ रे। बरसो मेघा