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मकड़ी बुने ताना जार -जार से, सुन्दर गेह निर्माण क

मकड़ी बुने ताना जार -जार से, 
सुन्दर गेह निर्माण करे।
भंवरा विचरण करे यंहा-वंहा,
फिर कलियो का रसपान करे।
पक्षी चुगकर दाना -दाना,
कुटुम्ब का निर्वाह करे।
जुड़े रेशम का तार-तार, 
सुवस्त्र का निर्माण हो।
सटे पत्थरो से पत्थर, 
चट्टानो का निर्माण हो।
माटी कण जुड़ कर आपस मे,
ईन्ट का निर्माण करे।
सभी सुरो का हो सन्गम,
सरगम का उदगम बने।
कठिन कार्य हो जाए सरल,
गर श्रम का इस्तेमाल करे।
सपनो को आकार दो, 
आकार ही साकार बने।
arvind bhanwra श्रम से निर्माण ।
मकड़ी बुने ताना जार -जार से, 
सुन्दर गेह निर्माण करे।
भंवरा विचरण करे यंहा-वंहा,
फिर कलियो का रसपान करे।
पक्षी चुगकर दाना -दाना,
कुटुम्ब का निर्वाह करे।
जुड़े रेशम का तार-तार, 
सुवस्त्र का निर्माण हो।
सटे पत्थरो से पत्थर, 
चट्टानो का निर्माण हो।
माटी कण जुड़ कर आपस मे,
ईन्ट का निर्माण करे।
सभी सुरो का हो सन्गम,
सरगम का उदगम बने।
कठिन कार्य हो जाए सरल,
गर श्रम का इस्तेमाल करे।
सपनो को आकार दो, 
आकार ही साकार बने।
arvind bhanwra श्रम से निर्माण ।

श्रम से निर्माण ।