तुझमें करने लगी सफ़र, यादों की रेलगाड़ी चल पड़ी ऐसे, हर आँधी-तूफ़ाँ से भिड़ ले, सामने धड़कन भी अड़ी ऐसे। कैसे पाओगे दूर जाकर भी जब तुम्हारे दिल में ही बसेरा, साँस-साँस माँग रही उधार, दहलीज़ पे ज़िंदगी खड़ी ऐसे। #restzone #rzलेखकसमूह #rztask98 #deepshikha_skb #YourQuoteAndMine Collaborating with Deepshikha skb #sangeetapatidar