संकोची मनवा काहे डरे डरे से होत न काम जो जीत ले अंतरात्मा तब होत है जग में नाम.. निर्वाण ये मानवा बैरी है देख जलत है ओरन को जब मन भरे तब चित जगे राम नाम बस तारन को... संकोची मनवा काहे डरे डरे से होत न काम जो जीत ले अंतरात्मा तब होत है जग में नाम.. निर्वाण ये मानवा बैरी है देख जलत है ओरन को जब मन भरे तब चित जगे राम नाम बस तारन को...