तुझ से इश्क़ करने की रजा कबुल की है मैने नारी हु घुंघट मे रहने की सजा कबुल की है मैने दुल्हन बन कर ये प्रथा भी कबुल की है मैने नारी हुं चेहरा छुपा कर जिन्दगी कबुल की है मैने अपनी काबलीयत को मार कर मुस्कराहट कबुल की है मैने नारी हुं अपनी भावना को मारने की सजा कबुल की है मैने ©Bh@Wn@ Sh@Rm@ #ghughat ≋P≋u≋s≋h≋p≋ Dhyaan mira