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मनुज भावनाएँ न पता क्यों , सफलता रोश्नी रोकती। पर

मनुज  भावनाएँ न पता क्यों , सफलता रोश्नी रोकती।
परिश्रम की बाती डालते ,क्यों उम्मीद वो झोंकती।।
लॉटरी श्रम जब परिणाम दे,मोड़ तीखे ही सामने ।
यहाँ जब गिर जाता है मनुज,न बढ़ता कोई थामने।।

©Bharat Bhushan pathak
  #ArabianNight 
मनुज  भावनाएँ न पता क्यों , सफलता रोश्नी रोकती।
परिश्रम की बाती डालते ,क्यों उम्मीद वो झोंकती।।
लॉटरी श्रम जब परिणाम दे,मोड़ तीखे ही सामने ।
यहाँ जब गिर जाता है मनुज,न बढ़ता कोई थामने।।

#ArabianNight मनुज भावनाएँ न पता क्यों , सफलता रोश्नी रोकती। परिश्रम की बाती डालते ,क्यों उम्मीद वो झोंकती।। लॉटरी श्रम जब परिणाम दे,मोड़ तीखे ही सामने । यहाँ जब गिर जाता है मनुज,न बढ़ता कोई थामने।। #Thoughts

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