बहकी बहकी बाते करना ,मेरी आदत होती जा रही थी ,पूरे कैम्पस में घूमने के बाद भी समय नहीं बीत रहा था ,मन में अचानक से कई अनसुलझे से सवाल आने लगे काफी समय गुजारने के बाद प्रार्थना कक्ष में सभी छात्र एकत्रित हुए, प्रार्थना होने के पश्चात मैंने आगे जाकर अपना विचार प्रस्तुत किया ,कुछ लोगों की नजर में देखने से ऐसा मालूम.होता कि मुझे वे किस नजर से देख रहें हैं अब चलो ये सब हो गया अभी तक एक वर्ष पूरा होने आए थे मैं सेकेंड सेमेस्टर में थी परंतु कोई मित्र नहीं बना पाई थी हां ऐसा नहीं हैं मै किसी से बात नहीं करती थी पर एक मित्र एक सहचर की कमी महसूस हुआ करती थी,परंतु मेरा विश्वास था परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इसी के चलते मैने अपनी क्लासमेट के आईकार्ड को लेते हुए बाहर निकली तो उनसे मिलना हुआ जिनसे अभी अभी तनिक परिचय हुआ था मैंने उनको उनका आईकार्ड दिया ,फिर होते करते हम लोगों ने अपनी क्लासेस अटेंट करी और बाहर निकल पडें कैम्पस से बाहर आकर हमने लस्सी पी और अंकुरित चने खाएं हम सब अभी चार थे अभी अभी पांचवे व्यक्ति ने ज्वाइन किया अब हम पांच थे मेरी क्लाइमेटस ने मेरी सहायता की और रास्ते में चलते चलते मुझे एहसास हुआ कि आज मुझे फिर से नये मित्र मिले जिसे मैं समझ न सकी,पर कोई बात न अब देखते हैं ये दौस्ती क्या रुख लेती हैं हम सब मित्र बनते हैं या फिर हमारा साथ यहीं तक का था।। ©Shilpa yadav #friend#classmates#story#nojptostreaks#myself#friendforever